Govt Sarkari Yojna वेबसाइट में आपका स्वागत है। दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से About Ambedkar In Hindi जानकारी आपके साथ साझा करने जा रहे हैं। आप इस आर्टिकल के माध्यम से पड़ेंगे, dr babasaheb ambedkar information in hindi के बारे में और उनकी विचार क्या है? कैसा उन्होंने समाज के लिए कार्य किया और भारतीय संविधान में क्या भूमिका रही। आदि तमाम बातों को जानेंगे चलिए जानते हैं dr br ambedkar के बारे में विस्तार से,

About Ambedkar In Hindi (भीमराव रामजी अम्बेडकर 1891-1956)
Dr Bhim Rao Ambedkar आधुनिक भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता, चिंतक और संघर्षशील योद्धा थे। उनमें अपार नेतृत्व शक्ति थी। उन्होंने जीवन में किसी परम्परा में विश्वास नहीं किया, फलतः वे किसी परम्परा से जुड़े हुए नहीं थे। उन्होंने समाज सुधार का, विशेषतः दलितों के उत्थान का, महान कार्य किया, अतः उन्हें दलितों का मसीहा भी कहा जाता है।
Dr Bhim Rao Ambedkar (1891-1956) का जन्म मध्यप्रदेश में महू छावनी एक महार परिवार में 14 अप्रैल 1891 को हुआ। भारतीय वर्ण-व्यवस्था में महार अस्पृश्य वर्ग में आते हैं। अतः डॉ. अम्बेडकर ने अस्पृश्यता की पीड़ा को जन्म से ही अनुभव किया। बाल्यकाल से ही उन्होंने अस्पृश्यता के पापपूर्ण व्यवहार को झेला। छात्र जीवन से ही वे प्रतिभा के धनी थे, पर जातीय कारणों से उन्हें प्रारंभ से ही अपमानित होना पड़ा।
विद्यार्थी जीवन में ब्लेक बोर्ड तक उन्हें इसलिए नहीं जाने दिया जाता था क्योंकि उसके पास सवर्ण जाति के छात्रों के भोजन के डिब्बे रखे जाते थे। संस्कृत पढ़ने की अनुमति उन्हें इसलिए नहीं दी गई क्योंकि वे जाति से महार थे। कालेज की कैन्टीन में चाय पीने से उन्हें इसलिए रोका गया क्योंकि वे अस्पृश्य थे। विदेशों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने समाज के इस उपेक्षित व्यवहार को झेला।
Dr Bhim Rao Ambedkar About in Hindi
Bhim Rao Ambedkar को होटल में रुकने का स्थान जातीय आधार पर नहीं मिला। एक बार मकान मालिक ने भी उन्हें मकान खाली करने के लिए इसलिए बाध्य किया क्योंकि वे अस्पृश्य थे। इसके बावजूद वे समाज के बड़े वर्ग के इस उपेक्षित व्यवहार से हतप्रभ नहीं हुए। उन्होंने इन व्यवहारों का प्रतिरोध किया और स्वयं अपने लिए ही नहीं अपितु समूचे दलित और पीड़ित समाज को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए संघर्ष किया।
Degree of ambedkar: डॉ. अम्बेडकर (Dr Bhim Rao Ambedkar) की उच्च शिक्षा विदेशों में हुई। उन्होंने एम.ए., पीएच.डी., डी.एससी. तथा बार एटलॉ की उपाधियाँ प्राप्त की थीं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् वे भारत आए और उन्होंने दलित वर्ग के लोगों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए संघर्ष किया। राष्ट्रीय आन्दोलन में भी डॉ. अम्बेडकर ने भाग लिया। उन्होंने अछूतों के उद्धार की बात की। अंग्रेजी शासन ने उनकी माँग का समर्थन किया।
इस प्रकार डॉ. अम्बेडकर दलित और शोषितों के नेता स्वीकार किए गए। 1923 में Dr Bhim Rao Ambedkar ने अछूतों को सवर्णों की भाँति समाज में एक स्तर पर लाने के लिए आन्दोलन प्रारंभ किया। 1930 में उन्होंने पहली गोलमेज कान्फ्रेंस के में भाग लिया। इस कान्फ्रेंस में उन्होंने अंग्रेजी शासन की इस बात के लिए आलोचना की कि अंग्रेज भारत के अछूतों की स्थिति में सुधार करने में असफल रहे हैं।
उन्होंने अँग्रेजों द्वारा घोषित ‘साम्प्रदायिक परिनिर्णय’ का समर्थन किया पर गांधी जी (Gandhi Ji) द्वारा आमरण अनशन करने के कारण और काँग्रेस द्वारा हरिजनों को काँग्रेस से ही अधिक सीटें देने के प्रस्ताव के कारण डॉ. अम्बेडकर ‘साम्प्रदायिक परिनिर्णय’ से अलग हो गए।
Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi
स्वतंत्र भारत का संविधान बनाने के लिए जब संविधान सभा का गठन हुआ तो एक बार यह विचार सामने आया कि संविधान बनाने का कार्य सर आयवर जैनिग्स को सौंपा जाए, क्योंकि उन्होंने कुछ एशियायी देशों के संविधानों की रचना की थी, लेकिन यह कार्य अन्ततः डॉ. अम्बेडकर को सौंपा गया तथा इस हेतु उन्हें संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
इसी कारण Dr Bhimrao Ambedkar को आधुनिक मनु भी कहा जाता है। स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में डॉ. अम्बेडकर को मंत्री के रूप में सम्मिलित किया गया। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की स्थापना की तथा दलितों को उचित और समान अधिकार दिलाने के लिए आजीवन संघर्ष किया।
जीवन के अंतिम दिनों में 14 अक्टूबर 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया और वे अपने अनुयायियों के साथ उस धर्म में दीक्षित भी हुए 16 दिसम्बर 1956 को उनका (अम्बेडकर की मौत) निधन हुआ। सामाजिक न्याय, दलितोद्धार सामाजिक स्तर पर छुआछूत की समस्या को लेकर आधुनिक युग में राजा राममोहन राय से लेकर Mahatma Gandhi तक अनेक विचारकों और समाज सुधारकों ने संघर्ष किया है।
पर डॉ. अम्बेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar) का संघर्ष इन सबसे अधिक गहरा और बुनियादी था। जहाँ अन्य विचारकों और समाज सुधारकों ने अछूत समस्या को मानवीय, सामाजिक और राष्ट्रीय आधार पर हल करने के प्रयत्न किए, वहाँ डॉ. अम्बेडकर के लिए यह समस्या अधिक गहरी और तीखी थी।
Dr Bhimrao Ambedkar In Hindi
उन्होंने इस समस्या की वेदना को भुगता था क्योंकि वे अछूत वर्ग के थे। उन्होंने इस बात को स्वयं अनुभव किया था कि भारतीय समाज-रचना में इतनी विकृतियाँ आ गई हैं कि शिक्षा, ज्ञान और पुरुषार्थ के होते हुए भी केवल अछूत परिवार में जन्म लेने के कारण एक व्यक्ति का समाज के किसी भी क्षेत्र में कोई महत्त्व नहीं है।
उसके पुरुषार्थ को कोई मान्यता नहीं है, उसकी किसी निर्णय में कोई भूमिका नहीं है। वह पूर्णतः उपेक्षित है तथा उसके लिए सामान्य जीवन भी सहज नहीं है। अतः डॉ. अम्बेडकर ने दलितों के उद्धार का और उनमें आत्मसम्मान के भाव को विकसित करने का अथक प्रयत्न किया।
प्रथा ऋषि परम्परा और जाति
Dr Bhimrao Ambedkar ने भारतीय जीवन के ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत किए जिनके द्वारा उन्होंने यह सिद्ध किया कि भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने में तथा भारत को सांस्कृतिक गौरव दिलाने में उन ऋषियों का बड़ा योगदान रहा है, जो तथाकथित निम्न जातियों में पैदा हुए इनमें वशिष्ठ, व्यास प्रमुख हैं। इनके अलावा ऐसे अनेक ऋषि हैं जो मानस पुत्र माने जाते हैं, विदुर स्वयं दासी पुत्र थे।
Ambedkar ने सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिए जाति और वर्ण-व्यवस्था पर कठोर प्रहार किया क्योंकि जाति और वर्ण दोनों ही ने समाज में कट्टरता को जन्म दिया है। इनके परिणामस्वरूप ही समाज में कालान्तर में जाकर अस्पृश्यता का भाव पैदा हुआ तथा उपेक्षा, शोषण और अत्याचार की बहुत बड़ी परम्परा विकसित हुई।
डॉ. अम्बेडकर ने अपने गहन अध्ययन और विश्लेषण से यह सिद्ध किया कि वैदिक और उत्तर वैदिक काल में जन्म और जाति के स्थान पर गुणों को स्थान दिया जाता था। जाति कार्य के आधार पर थी, जन्म के आधार पर नहीं। उस समय जातियों में परस्पर कट्टरता नहीं थी। कालान्तर में जब जन्म के आधार पर जातियाँ बनने लगीं तब जातीय कट्टरता विकसित हुई। तभी से जातीय शोषण और उत्पीड़न भी प्रारंभ हुए।
धीरे-धीरे जब जातीय कट्टरता आई तो विद्वान लोग अपनी-अपनी जाति के लोगों को श्रेष्ठ मानने लगे तथा निम्न जाति के लोगों की भर्त्सना करने लगे। जाति-प्रथा के विरोध में प्रारंभ से ही महापुरुषों ने समाज में जन आन्दोलन चलाया है तथा जाति प्रथा और छुआछूत का विरोध किया है।
जातिप्रथा का विरोध
गौतम बुद्ध, कबीर आदि से लेकर वर्तमान युग में राजा राममोहन राय, दयानन्द, आर्य समाज आदि अनेक व्यक्तियों और संगठनों ने जातिप्रथा का विरोध किया। डॉ. अम्बेडकर के विरोध का आधार इन सबसे अधिक व्यापक था। उन्होंने केवल सामाजिक और मानवीय आधार पर अस्पृश्यता का विरोध नहीं किया,
बल्कि प्राचीन साहित्य, संस्कृति और व्यवस्था का पूर्ण अध्ययन और विश्लेषण कर जनमानस के सम्मुख ऐसे तथ्यों को उद्घाटित किया, जिनसे यह सिद्ध होता है कि भारतीय सांस्कृतिक विकास में केवल सवर्ण लोगों का ही योगदान नहीं है, अपितु अछूत कहे जाने वाले वर्ग का भी बहुत बड़ा योगदान है।
शूद्र वर्ण बाद में आया Dr Bhimrao Ambedkar (डॉ. अम्बेडकर) ने अपने विश्लेषण द्वारा यह सिद्ध किया कि अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए और अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए प्राचीन काल में ऐसे यंत्र और ग्रंथ रचे गए जिन्होंने यह स्थापित किया कि कुछ जातियाँ उच्च हैं और कुछ अस्पृश्य हैं।
डॉ. अम्बेडकर जीवन का गहन अध्ययन (About Ambedkar Life)
चातुर्वर्ण्य व्यवस्था में मूलत: ऊँच-नीच का कोई भाव या विचार नहीं था। यह हमारा दुर्भाग्य है कि उस समय के समाज ने इस मान्यता को स्वीकार किया। डॉ. Ambedkar ने समाज जीवन का गहन अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि प्रारंभ में समाज में शूद्र वर्ण था ही नहीं। ज्ञानी, तपस्वी और अपरिग्रही लोगों को ब्राह्मण कहते थे,
स्वभावतः ऐसे लोगों का सम्मान क्षत्रिय एवं वैश्य लोग करते थे। आगे चलकर क्षत्रिय लोगों ने भौतिक सत्ता प्राप्त की और कई ब्राह्मण अक्षम होने लगे। ऐसी स्थिति में क्षत्रियों ने ब्राह्मणों को सम्मान देना कम कर दिया, अतः नाराज होकर ब्राह्मणों ने ऐसे क्षत्रियों को जिन्होंने सम्मान कम कर दिया था, असंस्कृत या शूद्र कहना प्रारंभ कर दिया।
शूद्र संस्कारहीन माना जाता था, पर इसमें छुआछूत का कहीं विचार या व्यवहार नहीं था। Dr Bhimrao Ambedkar ने एक घटना का उल्लेख कर शूद्र होने की बात बतलाई है। उनके अनुसार शूद्रों के राजा सुदास जो क्षत्रिय वंश के थे और वशिष्ठ के बीच भयंकर युद्ध हुआ। सामाजिक परिवर्तनों एवं संयोगवश शूद्र जाति के लोग अपने क्षत्रिय वंश की उच्च परम्परा से गिर गए और कालान्तर में वे शद्र अथवा अछत कहलाने लगे।
निष्कर्ष
ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से आपने About Ambedkar In Hindi (अबाउट अंबेडकर इन हिंदी) जानकारी पढ़ी जिसमें डॉ.अंबेडकर साहब ने इस मानव समाज उत्थान के लिए क्या-क्या कार्य किए और कितना प्रयत्न किया आदि तमाम जानकारी पढ़ी। आशा है आपको ऊपर दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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